उस संसद का अपमान है जिसके नियम कानून से हम चलते है..........


हमारा भारत आज पूर्ण रूप से स्वतंत्र है और यहाँ के हर नागरिक, कर्मचारी को सोचने , विचार करने एवं निर्णय लेने का अधिकार है तो फिर क्या वे संसद सदस्य भारत के निवासी नहीं है जिनको राज्य सभा से मात्र स्वविचार के कारण निष्कासित किया गया ! ये भाजपा , कांग्रेस ,सपा,माकपा , बसपा या किसी राजनैतिक पार्टी का अपमान नहीं बल्कि ये उस संसद का अपमान है जिसके नियम कानून से हम चलते है हम जानते है महिलाओ को बराबर का दर्जा मिलना चाहिए पर इसके लिए किसी को जबरन मनवाना तो गलत है ,वो भी उससे जो किसी भी अधिनियम में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका रखता है ! उन सदस्यों को बिल में कोई कमी महसूस हुई होगी या वो उसका पक्ष नहीं लेना चाहते होगे तो उन्होंने अच्छा ही तो किया खुला विरोध किया ,आखिर विपक्ष की भूमिका भी तो यही है !जब बिल के पक्ष में मतदान करने वाले बाद में कह सकते है कि बिल राष्ट्र हित में नहीं है इससे पिछड़ा वर्ग को कोई सहायता नहीं मिलेगी यह तो केवल राजनेताओ के परिवार कि महिलाओ को और उठाने कि एक पहल है और खुद कांग्रेस व् उसके गठबंधन के सदस्य अब बिल के पक्ष में नजर नहीं आ रहे तो क्या अब उनको भी निलंबित किया जायेगा !
जो भी परिणाम निकले बिल पूर्ण रूप से पास हो या न हो पर उन सदस्यों के साथ तो अन्याय ही हुआ है!
पर यहाँ से एक संका और होती है कि कही एक और बिल कि तयारी तो नहीं हो रही ! हाँ मै ऐसे बिल कि बात कर रहा हु जिसमे किसी भी अधिनियम का विरोध करने वाले सदस्यों को निलंबित करने का प्रयोजन हो जिसका परिणाम जानने के लिए माननीय सभापति महोदय ने ''डेमो'' किया हो!
जो भी हो सभी को आशा है कि कोई भी राजनेता हमारे संविधान से खिलवाड़ करने का दुस्साहस नहीं करेगा !!!!!!!!