अरे ये तो चिदंबरम बजट था : अंकुर मिश्र 'युगल'

ये बजट देश के लिए था, चिदम्बरम के लिए या कांग्रेस के लिए ये किसी को नहीं पता ? मेरा तो यह कहना है की बजट किसी के लिए भी हो लेकिन आम आदमी के लिए नहीं था ! जिस सरकार द्वारा वादे किये गए थे की विकास दर दहाई के अंको तक पहुचाया जायेगा उसको जनता के सामने लाने पर दहाई के अंको में सरकार खुद फसती नजर आई ! कही ये विकास दर ५-६ के अंक से घटाकर २-३ पर न पहुच जाये ! कहा जाता है इस बार के बजट में सबसे ज्यादा ध्यान छात्रो का रखा गया है लेकिन इस घटती विकास दर में सबसे जयादा भी उन्ही युवा छात्रो के रोजगार को है ! मुद्रास्फीति की बात करे तो देखते है की जिसे दस से नीचे होना चाहए अभी भी वो दस के ऊपर ही है ! मुद्रास्फीति : सरकार के द्वारा खर्च किये गए खर्चो पर निर्भर करता है ! ये दहाई की मुद्रास्फीति अभी भी यही दिखाती है की सर्कार के खर्चो में कोई कटौती नहीं हुयी है ! कटौती हुयी है तो जनसँख्या के उस महकमे में जिसमे ९० % लोग रहते है ! पिछली सरकार से ही देख रहे है किसी चीज में कटौती नहीं देखि गयी है रोजाना प्रयोग के सामान के मुल्य में बध्होत्तरी, सब्जी के मुल्य में बराबर बढ़ोत्तरी , पेट्रोल डीजल , गैस के मूल्यों में बराबर बढ़ोत्तरी , बस बढ़ोत्तरी -बढ़ोत्तरी और बढ़ोत्तरी !! और इस बढ़ोत्तरी से सबसे ज्यादा परेशां होने वाले लोगो में है वो आम आदमी जिनके पास हनकी जीविका के लिए भी पैसे नहीं होते ! उनका क्या होगा ?? निजत न तो सरकार के पास है और न ही विपक्ष के पास ! सरकार के पास इस विकास दर की कमी के कारण तो नहीं लेकिन बताने के लिए ये जरुर है की 'चीन और इंडोनेसिया की विकास दर तेजी से बढ़ रही है' ! क्या उनकी विकास दर सुनाने से हमर पेट भर जायेगा या फिर हमारी विकास दर बढ़ जाएगी ! जिस देश में गुजरात जैसे राज्य अपने आप में विकास की परिभाषा है क्या वह चीन और इंडोनेशिया को देखने की जरुरत है ! क्या देश के अन्दर ही रहकर ऐसे मुद्दों में विचार करने की जरुरत नहीं है ? कुछ भी ऐसे बजट से कांग्रेस के इंडिया ड्रीम का सपना तो पूरा होने वाला नहीं है और यदि आंगे विपक्ष भी सरकार के इस रवैये को ऐसे ही स्वीकार करती रही तो २ १ वी शताब्दी में भी उसे सर्कार बनाने का मौका नहीं मिलेगा ! विकास देश की नहीं आम आदमी की जरुरत है ! और इसमें तो अंत में यही कहा जा सकता है की ये बजट स्विस बैंक के खता धारको को ध्यान में रखकर लाया गया है , इसमे बड़े बड़े उद्योगपतियों का ही ध्यान रखा गया है ! तो इसे आम बजट कैसे कह सकते है ! ये तो चिदम्बरम बजट ही कहलायेगा न ...!!