जनता ही हमेशा पीड़ित क्यों राजनेता क्यों नहीं : अंकुर मिश्र "युगल"

आखिर वो समय जल्द जल्द ही आ रहा है जिसका नेताओ  इन्तजार रहता है , जनता इनकी गलतियों का खामियाजा भुगतती है  यही घटनाएँ इन नेताओ के हथियार होते है !
इनके निवारण के लिए बात कोई नहीं करेगा बात होगी  तो बस 'तुमने क्या किया और तुमने क्या किया?" ! 
छत्तीसगढ़ में नकसली हमले हुए उसमे बड़े बड़े वादे हुए, मारे गए सुरक्षाकर्मियों के लिए 'ये करेगे वो करेगे' लेकिन ये सब करना तो दूर वहां एक और एसपी को मार डाला गया और सरकार के बस वादे रह गए ! 
यदि ख़ुफ़िया विभाग ने दो जुलाई तक सतर्कता बरतने के निर्देश दिए थे तो ये घटना कैसे हुए और इसका जिम्मेदार कौन है ? 
ये किसकी नाकामी है ?........
वही दूसरी तरफ उत्तराखंड विपदा में राजनीती हो रही है ! 
वहां की सफाई और समाधान की बाते न करके बात हो रही है , 
आखिर जिम्मेदार कौन है ? 
प्रकृति ? 
कांग्रेस ?
 भाजपा? 
या कोई और ?....
सरक्रार त्याग पत्र दे , विपक्ष सप्ता को काम नहीं करने दे रहा है आदि बाते ही नेताओं का आधार है तो बेचारी जनता क्या करे ! 
उसे तो हमेशा पीड़ित ही रहना पड़ेगा !
बिहार में बम ब्लास्ट हुए , घायल कौन हुआ ? कौन कौन मरा ? किसकी संपत्ति में घाटा हुआ? इस बात Se किसी को मतलब नहीं है !
कांग्रेस के एक समझदार नेता दिग्विजय सिंह , तुरंत बोले इसमे कही मोदी का हाथ तो नहीं है !
भाजपा से किसी ने कहा नितिश कुमार की सुरक्षा व्यवस्था में कमी है ! 
कुछ विशेसग्य इस बहस में लग गए की ये धमाके क्यों किये गए ! 
अब इन्हें कौन समझाए ये सरे काम पहले ही निपटा लेने चाहिए थे ! 
नेताओ की आपसी बहस के बीच बेचारी जनता और कब तक पिसेगी ! ये सब राजनीतिग्य क्यों नहीं भोगते !
हमारे  देश की यही विडंबना है जिसे झुठलाया नहीं जा सकता ! पर जनता जागरूक हो रही है और वह नेताओ की ड्रामेबाजी को समझने लगी है !