माँ अब भी नहीं हारी, रोजाना आती है तुम्हारी तलाश में !

माँ अब भी नहीं हारी, रोजाना आती है तुम्हारी तलाश में !

हर शाम दर रहता था की आज उन्हें खाना मिला होगा या नहीं ? जब भी दफ्तर से घर की तरफ चलता था मिलाने की एक अलग चाह होती थी उनसे ! उनकी आवाज इतनी प्यारी थी, उनक आपस में बात करने का तरीका अजीब था ! आज तक समझ नहीं पाया मगर हमेशा लगता था कुछ मेरे बारे में ही बात कर रहे होगे ! हर सुबह जब चाय बनाने के लिए किचेन की खिड़की खोलता था तब वो घोसले से बाहर निकलकर तुरंत सामने आ जाते और आपस के कुछ बाते करने लगते ! उस वक्त रोज उनकी ‘माँ’ नहीं होती थी दोनों बिलकुल अकेले होते थे निडर. माँ भी निडर होकर उन्हें छोड़ जाती थी खाने की तलाश में रोजाना ! आफिस के दिनों में दिन भर वो क्या करते थे मुझे आज तक पता नहीं चला मगर रविवार को सारा दिन उनकी आपस की बातचीत मुझे सुनाई देती रहती थी !





कितनी मुश्किल से पाला था उस माँ ने उन बच्चो को, फिर जन्म देने के बाद कैसे बड़ा किया था ! खुद बाहर की छत में सोती थी मगर उन बच्चो को घोसले में ढककर सुलाती थी ! अपनी चोच में इकठ्ठा किया खाना खुद नहीं खाती थी पहले अपने बच्चो को खिलाती थी !
सच में माँ किसी की भी हो, माँ – माँ होती है

अब वो बच्चे उड़ने लायक हो चुके थे उनको प्रशिक्षण भी माँ दे रही थी ! अब उस माँ की बदौलत थोड़ा थोड़ा उड़ सकते थे ! मगर बस थोड़ा थोड़ा क्योंकि छोटे थे अभी वो ! अब माँ के साथ सुबह वो भी सैर पर जाने लगे थे !

गाँधी जयंती का दिन था, अहिंसा दिवस !

मेरी छुट्टी का दिन, उन्हें न जाने कैसे इस बात का एहसास हो गया कि मेरी छुट्टी है, रोजाना की तरह आज बच्चे सैर पर नहीं थे ! माँ खाने की तलाश में उड़ चुकी थी ! बच्चे आपस में खेल रहे थे ! इतना सब देखने के बाद मुस्कुराते हुए, मै चाय लेकर काम करने लगा ! काम करते करते कब आँख लग गयी पता भी नहीं चला, तभी अचानक से खाना डिलीवरी वाले ने घंटी बजायी, मै जगा और उससे ऊपर आने को बोला !

उसने ऊपर आते सबसे पहले बोला, सर सीढियों पर किसका खून हुआ है ! मैंने दौड़ते हुए देखा घोसले से कबूतर के बच्चे गायब थे ! फिर सीढियों पर गया तो आँखे फट गयी चारो तरफ खून और पंख बिखरे पड़े थे ! पंखो के बिखरने से यही अंदाजा लगा की उन बच्चो ने आखिरी साँस तक लड़ाई लड़ी थी मगर हार गए !




पता नहीं सब कैसे हुआ मगर अंदाजा यही है की एक बिल्ली रोजाना घर के बाहर से उन्हें देखती थी उसी ने किया होगा ! एक माँ का गला घोटा, ममता का गला घोटा, खुशियों ka गला घोटा उस बिल्ली ने अहिंसा दिवस पर ! किस किस से बचे बिचारे मानव से, जानवर से किस किस से ?
मैंने उनके पंख और खून तो वहाँ से हटा दिया मगर उनकी यादे भी अब तक वहाँ है ! खिड़कियाँ भी बंद कर दी अब मैंने उस बिल्ली की वजह से ! उनकी माँ अब भी आती है रोजाना बच्चों की तलाश में , घर के चारो तरफ से रास्ता खोजती है और थक हारकर सबसे ऊपर छत पर बैठ जाती है, वो अब भी हार नहीं मानी, कैसे बताऊ उसे की अब उसके बच्चे इस दुनियां में नहीं रहे !



बापू के नाम एक पत्र

पूज्यनीय बापू ,

सादर चरणस्पर्श ।

हम इस कर्मभूमि पर दुरुस्त है और आशा करते है की आप भी अपने संसार में दुरुस्त होगे ! आपकी याद में देश सूना सा होता जा रहा है ! कभी ड्राई दे होता है तो कभी सफाई दे ! आपके जन्मदिन को सब अपने अपने हिसाब से यूज कर रहे है !
हाँ एक बात बतानी थी आपको शायद पता नहीं होगी, हमारे इस बार के जो प्रधानमंत्री है वो बहुत ही जान पहचान वाले घुमक्कड़ जिज्ञासा वाले है, मुझे पूरी विश्वास है अगर वो इसी तरह से घूमते रहे तो अपने पांच सालो में कोई नया देश जरूर खोज निकलेगे ! आपकी तरह उनका भी एक सपना था ‘अच्छे दिनो’ का, और उसमे वो सफल भी रहे आज उनके पास सब कुछ है उनका हर दिन किसी नयी जगह पर अच्छा ही होता है !
एक दुःख भरी खबर है बापू, अपने कलाम सर नहीं रहे ! वो भी इस मायावी और बेईमान संसार से दुखी हो गए थे! बांकी सब तो ठीक है बापू मगर अब देश की गरीबी , देश की सुरक्षा , देश के स्वाभिमान , देश के गौरव की अब कोई परवाह नही करता ! हाँ देश में अब बलात्कारो की संख्या भी बढ़ गयी है और सब ठीक है !
देश का काला धन अभी भी काली काली बैंको में पड़ा है बांकी सब ठीक है !
देश में कुछ गरीबो को अब भी खाना नहीं मिलता बापू बांकी सब ठीक है !
आपके के लिए दुखद समाचार है की आपका ''नमक कानून '' निरर्थक सा होता जा रहा है ! आपके द्वारा दिए गए
हथियार ''सत्य'' और ''अहिंषा '' के बारे में तो आपको पता ही होगा की इन हथियारों को तो विदेशियों को बेच दिए है ! आपका रामराज मुझे वास्तविक धरातल में लागू होता मुमकिन नही दिख रहा है ,,क्योकि आज की दुनिया और आज की राजनीती में ''रामराज '' का मतलब कुछ दूशरा ही है ! सब कुछ अच्छा है बापू यहाँ पर
यहाँ न तो न्याय है और न ही समानता और आदर्श आचरण की तो कोई अब बची है बांकी सब ठीक है ! चारो ओर बश एक ही होड़ है: मेरी जात तेरी जात से उची है; मेरा धर्म श्रेष्ठ है; मै तुमसे अच्छा और सच्चा हू....
आपको ये बाते जानकर दुःख तो होगा क्योकि आपका देश आज एक विलक्षण स्थिति में है लेकिन आज यही  सत्य है ,यह सत्यता तो क्षणिक है वास्तविकता तो अद्भुत है ! बापू अब आप का ही सहारा है ,कृपया अपनी शक्तिया हमारे अन्दर शामाहित करे !
अंत में एक दुर्लभ बात बताना चाहूगा की अमेरिकी राष्ट्रपति ''ओबामा दादू' 'आपको खाने पर आमंत्रित करना चाहते थे ! मगर इसी बीच हमारे प्रधानमंत्री जी दो बार उनके साथ खाना खा आये है ! अच्छा ही है आप उनकी कूटनीति से दूर ही है !
धन्यवाद ,पत्र का उत्तर जरूर लिखियेगा..
इंतजार में आपका
अंकुर'